शुक्रवार, 13 मई 2022

भारत के क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों, कारोबारियों, उद्यमियों के लिए झटका, Coinbase ने भारत में कारोबार रोका


अमेरिकी शेयर बाजार Nasdaq पर लिस्ट दुनिया के दिग्गज क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भारत में अपना कारोबार शुरू करने के कुछ ही दिनों के भीतर अपना कारोबार समेट लिया है। इसके लिए उसने भारत सरकार,  भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई और यूपीआई ऑपरेट करने वाली संस्था एनपीसीआई ( National Payments Corporation of India)  की ज्यादती को कारण बताया है। 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया हो, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को हतोत्साहित करने की हरसंभव कोशिश सरकार, आरबीआई, एनपीसीआई द्वारा की जा रही है। सरकार ने बजट 2022-23 में क्रिप्टो की कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स और इसके लेन-देन पर 1 प्रतिशत टीडीएस  लगाने की घोषणा से क्रिप्टो कारोबारी और निवेशक अभी उबरे नहीं थे कि खबर आ रही है कि सरकार क्रिप्टो पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का मन बना रही है। उधर, इसी बीच National Payments Corporation of India (NPCI) द्वारा  यूपीआई  से क्रिप्टो के लेन-देन पर रोक लगाने संबंधी खबर आने लगी। 

जहां दुनिया भर में इस नई तकनीक और डिजिटल करेंसी को अपनाने की रेस है, वहीं भारत में इसे हतोत्साहित किए जाने से क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, कारोबारी, निवेशक सब के सब हलकान हैं। क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ इस तरह की सख्ती से  घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज तो विदेशों में ठिकाना बना ही रहे हैं, नामी-गिरामी वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भी भारत में ऑपरेशंस शुरू करने के चंद दिनों के भीतर अपना कारोबार समेटने की घोषणा कर दी। 



कॉइनबेस के को-फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ब्रायन आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस मामले में कहा है कि सरकार और रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से अनौपचारिक दबाव (Informal Pressure) की वजह से भारतीय बाजार से कारोबार समेटना पड़ा है। 

आपको बता दूं कि कॉइनबेस  ने भारत में अपनी क्रिप्टो ट्रेडिंग सर्विस 7 अप्रैल को शुरू की थी। यह सर्विस अपने क्लाइंट्स को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से क्रिप्टो खरीदने की अनुमति भी दी थी। कुछ समय पहले एमपीसीआई द्वारा यह कहने के बाद कि “नहीं पता कि कोई क्रिप्टो एक्सचेंज यूपीआई का इस्तेमाल कर रही है”, कॉइनबेस ने भारत से अपने काम समेट लिया है। 

10 मई को आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था कि सरकार और आरबीआई का अनौपचारिक दबाव भारत के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन हो सकता है, जिसने क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्रीय बैंक के प्रतिबंध को उलट दिया था। उन्होंने कहा कि भारत इस मायने में एक यूनिक मार्केट है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि वे क्रिप्टो पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं, लेकिन सरकार में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक भी शामिल है, जो इस पर उतना सकारात्मक नहीं दिखता है। आगे उन्होंने कहा कि इसलिए वे प्रेस में इसे शैडो-बैन बताते हैं। मूल रूप से, वे इन भुगतानों में से कुछ को डिसेबल करने का प्रयास करने के लिए पर्दे के पीछे से सॉफ्ट प्रैशर बना रहे हैं, जिसमें कि यूपीआई के माध्यम से भुगतान भी हो सकता है। 

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