देश में बिटकॉइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसी,जिसे डिजिटल या वर्चुअल करेंसी भी कहते हैं, पर इस साल जुलाई से पूरी तरह रोक लग जाएगी। सभी बैंकों और वित्तीय सेवा देने वाली कंपनियों को ऐसी करेंसी में कोई नया लेन-देन नहीं करना है। साथ ही उनको अपने ग्राहकों को भी ऐसी करेंसी में लेन-देन करने से पूरी तरह रोकना है। बैंक या वित्तीय कंपनियां अब डिजिटल करेंसी का ना तो किसी का खाता खोल सकते हैं, ना ही वर्चुअल करेंसी के आधार पर लोन दे सकते हैं, ना ही अपने ग्राहकों को वर्चुअल करेंसी में खरीद-बिक्री की अनुमति दे सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को ये हिदायत दी है। आप विस्तार से रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन देख सकते हैं। रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी किया है। रिजर्व बैंक ने साथ ही बैंकों को हिदायत दी है कि अगर अभी वो किसी के साथ क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार कर रहे हैं तो तीन महीने के भीतर उसे बंद कर दें।
RBI/2017-18/154
DBR.No.BP.BC.104 /08.13.102/2017-18
DBR.No.BP.BC.104 /08.13.102/2017-18
April 6, 2018
All Commercial and Co-operative Banks /Payments Banks/Small Finance Banks /
NBFCs / Payment System Providers
NBFCs / Payment System Providers
Madam / Dear Sir,
Prohibition on dealing in Virtual Currencies (VCs)
Reserve Bank has repeatedly through its public notices on December 24, 2013, February 01, 2017 and December 05, 2017, cautioned users, holders and traders of virtual currencies, including Bitcoins, regarding various risks associated in dealing with such virtual currencies.
2. In view of the associated risks, it has been decided that, with immediate effect, entities regulated by the Reserve Bank shall not deal in VCs or provide services for facilitating any person or entity in dealing with or settling VCs. Such services include maintaining accounts, registering, trading, settling, clearing, giving loans against virtual tokens, accepting them as collateral, opening accounts of exchanges dealing with them and transfer / receipt of money in accounts relating to purchase/ sale of VCs.
3. Regulated entities which already provide such services shall exit the relationship within three months from the date of this circular.
4. These instructions are issued in exercise of powers conferred by section 35A read with section 36(1)(a) of Banking Regulation Act, 1949, section 35A read with section 36(1)(a) and section 56 of the Banking Regulation Act, 1949, section 45JA and 45L of the Reserve Bank of India Act, 1934 and Section 10(2) read with Section 18 of Payment and Settlement Systems Act, 2007.
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली मौद्रिक पॉलिसी बैठक के बाद ये निर्देश जारी किया है। यह बैठक 4, 5 अप्रैल को हुई। रिजर्व बैंक ने साथ ही खुद का डिजिटल मुद्रा शुरू करने की घोषणा की।
>रिजर्व बैंक का क्रिप्टोकरेंसी और खुद का डिजिटल मुद्रा के संबंध में बयान:
-केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा
निजी डिजिटल टोकन के उदय तथा कागजी मुद्रा/धातु मुद्रा की बढ़ती हुई लागत जैसे कारकों के साथ भुगतान उद्योग के परिदृश्य में तेजी से परिवर्तन ने पूरे विश्व के केंद्रीय बैंकों को कागजी डिजिटल मुद्रा तलाशने के अवसर हेतु प्रेरित किया है। यद्यपि अभी भी बहुत से केंद्रीय बैंक बहस में लगे हैं, रिजर्व बैंक द्वारा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा प्रारम्भ करने के लिए वांछनीयता तथा व्यवहार्यता पर मार्गदर्शन प्रदान करने तथा अध्ययन करने के लिए एक अंतर विभागीय समूह का गठन किया जा चुका है। इसकी रिपोर्ट जून 2018 के अंत तक प्रस्तुत की जाएगी।
-रिंग-फेसिंग ने वर्चुअल करेंसी से संस्थाओं को विनियमित किया
तकनीकी नवाचारों में, उन अंतर्निहित वर्चुअल करेंसी सहित, वित्तीय प्रणाली की दक्षता और समावेशकता में सुधार लाने की क्षमता है । तथापि, वर्चुअल करेंसी (वीसी), जिन्हें क्रिप्टो करेंसी और क्रिप्टो एसेट के रूप में भी जाना जाता है, दूसरों के बीच, उपभोक्ता संरक्षण, बाजार अखंडता और मनी लॉन्ड्रिंग की चिंताओं को बढ़ाता है।
रिजर्व बैंक ने बार-बार बिटक्वाईन्स सहित, वर्चुअल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को ऐसे वर्चुअल करेंसी के लेनदेन से जुड़े विभिन्न जोखिमों के संबंध में आगाह किया है। संबंधित जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि, तत्काल प्रभाव से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं किसी भी व्यक्ति या व्यवसायिक संस्थाओं से कोई सौदा या कोई सेवा प्रदान नही करेगा जो वीसी में सौदा या निपटान करते हैं। विनियमित संस्थाएं जो पहले से ही ऐसी सेवाएं प्रदान करती हैं, एक निर्दिष्ट समय के भीतर इस संबंध से बाहर निकलेंगी। इस संबंध में एक परिपत्र अलग से जारी किया जा रहा है।
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