शुक्रवार, 13 मई 2022

क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी कोहराम! Bitcoin आया 30 हजार डॉलर के नीचे, दूसरे क्रिप्टोकरेंसी की भी हालत पतली


दुनिया भर के शेयर बाजार की ही तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी मानो कोहराम जारी है। सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेसी बिटकॉइन की कीमत उसके उच्चतम स्तर करीब 60 हजार डॉलर के मुकाबले आधी 29 हजार डॉलर के करीब रह गई है। 13 मई 2022 की सुबह इसकी कीमत 29,200 डॉलर के आसपास चल रही थी, जो कि पिछले साल जून के बाद सबसे कम है। पिछले साल जून में बिटकॉइन की कीमत 29 हजार डॉलर के करीब थी। बिटकॉइन ने अभी तक के कारोबार में 59 हजार डॉलर से ज्यादा का उच्चतम स्तर बनाया था। 



उधर, दुनिया भर में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तल समेत कई कमोडिटीज की आपूर्ति में बाधा आ जाने की वजह से महंगाई बढ़ने और फिर महंगाई का काबू में करने के लिए प्रमुख दरों में बढ़ोतरी से शेयर बाजारों में कोहराम मचा है। 

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में बिटकॉइन 8 प्रतिशत से ज्यादा लुढ़का है, जबकि पिछले सात दिनों में 24 प्रतिशत की गिरावट इसमें देखी गई है। इस साल बिटकॉइन करीब 47.5 प्रतिशत तक फिसल चुका है। 

बिटकॉइन के बाद दूसरी लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथीरियम की बात करें, तो 13 मई 2022 की सुबह इसकी कीमत दो हजार डॉलर के करीब थी।  पिछले 24 घंटे में यह तीन प्रतिशत से ज्यादा लुढ़का है, जबकि पिछले सात दिनों में 18 प्रतिशत की गिरावट इसमें देखी गई है। इथीरियम अभी 3737 डॉलर का उच्च स्तर बनाया है। 


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भारत के क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों, कारोबारियों, उद्यमियों के लिए झटका, Coinbase ने भारत में कारोबार रोका


अमेरिकी शेयर बाजार Nasdaq पर लिस्ट दुनिया के दिग्गज क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भारत में अपना कारोबार शुरू करने के कुछ ही दिनों के भीतर अपना कारोबार समेट लिया है। इसके लिए उसने भारत सरकार,  भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई और यूपीआई ऑपरेट करने वाली संस्था एनपीसीआई ( National Payments Corporation of India)  की ज्यादती को कारण बताया है। 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया हो, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को हतोत्साहित करने की हरसंभव कोशिश सरकार, आरबीआई, एनपीसीआई द्वारा की जा रही है। सरकार ने बजट 2022-23 में क्रिप्टो की कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स और इसके लेन-देन पर 1 प्रतिशत टीडीएस  लगाने की घोषणा से क्रिप्टो कारोबारी और निवेशक अभी उबरे नहीं थे कि खबर आ रही है कि सरकार क्रिप्टो पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का मन बना रही है। उधर, इसी बीच National Payments Corporation of India (NPCI) द्वारा  यूपीआई  से क्रिप्टो के लेन-देन पर रोक लगाने संबंधी खबर आने लगी। 

जहां दुनिया भर में इस नई तकनीक और डिजिटल करेंसी को अपनाने की रेस है, वहीं भारत में इसे हतोत्साहित किए जाने से क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, कारोबारी, निवेशक सब के सब हलकान हैं। क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ इस तरह की सख्ती से  घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज तो विदेशों में ठिकाना बना ही रहे हैं, नामी-गिरामी वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भी भारत में ऑपरेशंस शुरू करने के चंद दिनों के भीतर अपना कारोबार समेटने की घोषणा कर दी। 



कॉइनबेस के को-फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ब्रायन आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस मामले में कहा है कि सरकार और रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से अनौपचारिक दबाव (Informal Pressure) की वजह से भारतीय बाजार से कारोबार समेटना पड़ा है। 

आपको बता दूं कि कॉइनबेस  ने भारत में अपनी क्रिप्टो ट्रेडिंग सर्विस 7 अप्रैल को शुरू की थी। यह सर्विस अपने क्लाइंट्स को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से क्रिप्टो खरीदने की अनुमति भी दी थी। कुछ समय पहले एमपीसीआई द्वारा यह कहने के बाद कि “नहीं पता कि कोई क्रिप्टो एक्सचेंज यूपीआई का इस्तेमाल कर रही है”, कॉइनबेस ने भारत से अपने काम समेट लिया है। 

10 मई को आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था कि सरकार और आरबीआई का अनौपचारिक दबाव भारत के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन हो सकता है, जिसने क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्रीय बैंक के प्रतिबंध को उलट दिया था। उन्होंने कहा कि भारत इस मायने में एक यूनिक मार्केट है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि वे क्रिप्टो पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं, लेकिन सरकार में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक भी शामिल है, जो इस पर उतना सकारात्मक नहीं दिखता है। आगे उन्होंने कहा कि इसलिए वे प्रेस में इसे शैडो-बैन बताते हैं। मूल रूप से, वे इन भुगतानों में से कुछ को डिसेबल करने का प्रयास करने के लिए पर्दे के पीछे से सॉफ्ट प्रैशर बना रहे हैं, जिसमें कि यूपीआई के माध्यम से भुगतान भी हो सकता है। 

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गुरुवार, 5 मई 2022

फ्रांस ने Cryptocurrency एक्सचेंज Binance (बाइनांस)) को लाइसेंस दिया

Cryptocurrency Exchange Binance Registers With France's Market Regulator
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भले ही सरकार का रुख अभी तक साफ नहीं है, लेकिन विदेशों में इसका रुतबा लगातार बढ़ रहा है। अभी तक तो छोटे-मोटे देश और नामी-गिरामी कंपनियां ही क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार रही थी, लेकिन अब फ्रांस जैसे विकसित देश भी कानूनी दर्जा दे रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ताजा पूरी डीटेल्स क्या है, जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें। 


बुधवार, 4 मई 2022

CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) केंद्रीय बैंक की साख पर बट्टा लगा सकता है: NCAER


देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी या डिजिटल करेंसी को इकोनॉमी के लिए खतरनाक बताते हुए उसे मान्यता देने से इंकार कर रहे हैं। इसके बदले में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने पर काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार बजट में इसकी घोषणा कर चुकी है।  

RBI के गवर्नर भी कई दफे CBDC लाने की बात कह चुके हैं। चीन और अमेरिका में भी CBDC लाने पर काम चल रहा है। क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता केंद्रीय बैंकों और सरकारों को CBDC लॉन्च करने के लिए मजबूर कर रही है। 

इधर, भारत में CBDC लाने पर काम चल रहा है, वहीं उधर,  नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च यानी NCAER के एक पेपर में  भारत को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने के लिए सतर्क रुख अपनाने की सलाह दी गई है। 

NCAER का कहना है कि CBDC संस्थानों, रिटेल-एंड यूजर्स और केंद्रीय बैंक की प्रतिष्ठा के लिए खतरनाक हो सकता है। एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने पेपर में लिखा है कि हो सकता है कि सीबीडीसी की पैठ अधिक होगी और इससे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस की पहुंच व्यापक होगी, लेकिन मेरा मानना है कि सीबीडीसी के लिए इनमें से कई तर्क बिना सोचे-समझे आगे बढ़ाए गए हैं। पेपर में कहा है कि CBDC के समर्थक यह स्वीकार करने में विफल रहे हैं कि इनमें से कुछ लक्ष्यों को कम लागत पर और वैकल्पिक माध्यमों से कम जोखिम पर उन्नत किया जा सकता है, ”।

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बुधवार, 20 अप्रैल 2022

भारत की प्राथमिकताओं में क्रिप्टो संपत्ति का विनियमन, डिजिटल मुद्रा शामिल: आईएमएफ अधिकारी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत के लिए मध्यावधि की प्राथमिकताओं में क्रिप्टो संपत्ति का विनियमन और डिजिटल मुद्रा शामिल हैं।

आईएमएफ के वित्तीय सलाहकार और मौद्रिक तथा पूंजी बाजार विभाग के निदेशक टोबियास एड्रियन ने मंगलवार को यह बात कही।

उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र में शेष नियामक चिंताओं को दूर करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण जैसे संरचनात्मक मुद्दों पर भी भारत खास जोर दे रहा है।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर आईएमएफ भारत को ‘‘एक बेहद सकारात्मक तरीके से देख रहा है।’’

उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक वसंत बैठक के मौके पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कई अवसर हैं। (भारत में) पुनरुद्धार हो रहा है। नए वृद्धि के अवसरों, नए विकास के बारे में बहुत उत्साह है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा मानते हैं कि विकास समावेशी है, और सभी लोगों को प्रभावित कर रहा है, लेकिन भारत को लेकर हमारा सामान्य नजरिया काफी सकारात्मक है।’’

एड्रियन ने कहा कि मध्यावधि में संरचनात्मक मुद्दों की बात करें तो भारत के एजेंडे में क्रिप्टो करेंसी परिसंपत्तियों को विनियमित करना काफी ऊपर है। देश को आने वाले वर्षों में इसका समाधान तलाशना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि भारत का केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं पर विचार कर रहा है, जो वित्तीय समावेशन और वित्तीय विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत क्या कर रहा है, इस पर हमारी नजर है। हम इन नीतिगत घटनाक्रमों का स्वागत करते हैं।’’ 

(साभार- पीटीआई भाषा)

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धन शोधन, आतंकी वित्त पोषण की जांच के लिए वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो को विनियमित करना जरूरी: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण के जोखिम को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने की एक सुदृढ़ योजना का सुझाव दिया है।

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंताओं से भी वैश्विक समुदाय को अवगत कराया।

वित्त मंत्री ने आईएमएफ द्वारा आयोजित एक उच्च स्तरीय चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जब तक क्रिप्टो परिसंपत्तियों की गैर-सरकारी गतिविधियां अनहोस्टेड वॉलेट के माध्यम से होंगी, उनका विनियमन बहुत कठिन होगा।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, सेंट्रल बैंक द्वारा संचालित डिजिटल मुद्राओं के माध्यम से देशों के बीच सीमा पार से भुगतान बहुत प्रभावी हो जाएगा।

उन्होंने कहा, "मुझे गैर-सरकारी डोमेन पर जो जोखिम अधिक चिंतित करता है, वह यह कि आप दुनिया भर में सीमाओं के पार बिना होस्ट किए गए वॉलेट देख रहे हैं... इसलिए, किसी एक देश द्वारा अपने क्षेत्र के भीतर प्रभावी तरीके से विनियमन नहीं किया जा सकता है, और सीमापार विनियमन करने के लिए प्रौद्योगिकी के पास ऐसा कोई समाधान नहीं है, जो विभिन्न संप्रभु सरकारों को एक ही समय में प्रत्येक क्षेत्र में लागू होने के लिए स्वीकार्य हो।"

उन्होंने 'मनी एट ए क्रॉसरोड: पब्लिक ऑर प्राइवेट डिजिटल मनी' विषय पर एक चर्चा के दौरान कहा कि इसमें शामिल जोखिमों को अलग-अलग तरीके से देखना होगा, क्योंकि प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए जोखिम भी अलग हो सकते हैं।

सीतारमण ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि नाइजीरिया के लिए विनियमन और जोखिम, एक पर्यटन या निवेश समृद्ध बहामास से अलग होगा।

उन्होंने कहा कि धन शोधन का खतरा तब तक बना रहेगा, जब तक क्रिप्टोकरेंसी पर प्रौद्योगिकी को विनियमित करने और समझने के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण नहीं होगा।

उन्होंने कहा, "बजट 2022-33 में हमने घोषणा की थी, कि इन क्रिप्टो संपत्तियों के लेनदेन से हुई आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। साथ ही प्रत्येक लेनदेन के लिए भी स्रोत पर एक प्रतिशत कर कटौती की जाएगी, ताकि इसके माध्यम से हम यह जान सकें कि इसकी खरीद-बिक्री कौन कर रहा है।" 

(साभार- पीटीआई भाषा)

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रविवार, 10 अप्रैल 2022

क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान को लेकर ‘एफएक्यू’ पर काम कर रही है सरकार

सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान को लेकर बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) पर काम कर रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि एफएक्यू से वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर आयकर और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के बारे में चीजें स्पष्ट हो सकेंगी।

अधिकारी ने कहा कि एफएक्यू के सेट का मसौदा आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), रिजर्व बैंक और राजस्व विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है। विधि मंत्रालय द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल संपत्ति पर कर को लेकर बार-बार पूछे जाने वाले सवालों पर काम चल रहा है। हालांकि, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न सूचना के उद्देश्य से होते हैं और इनकी कोई कानूनी वैधता नहीं होती है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसमें कोई खामी तो नहीं है, विधि मंत्रालय की राय मांगी जा रही है।’’ अधिकारी ने बताया कि डीईए, राजस्व विभाग और रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि फील्ड कर कार्यालय और क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल मुद्राओं का लेनदेन करने वालों के लिए कराधान के पहलू स्पष्ट हो सकें।

वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर आयकर लगाने के संबंध में चीजें स्पष्ट की गई हैं। एक अप्रैल से इस तरह के लेनदेन पर उसी तरह से 30 प्रतिशत का आयकर, उपकर और अधिभार लगाया जाएगा जैसा कि कर कानून घुड़दौड़ या अन्य सट्टेबाजी वाले लेनदेन पर लगाता है।

बजट 2022-23 में एक साल में वर्चुअल मुद्राओं से 10,000 रुपये से अधिक के भुगतान पर एक प्रतिशत की स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और इस तरह के उपहारों को प्राप्त करने वालों पर कराधान का भी प्रस्ताव है।

इसके तहत कुछ विशेष व्यक्तियों के लिए टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये प्रतिवर्ष होगी। इनमें व्यक्ति/एचयूएफ आदि शामिल हैं जिन्हें अपने खातों का आयकर कानून के तहत ऑडिट कराना होगा।

एक प्रतिशत टीडीएस का प्रावधान एक जुलाई, 2022 से लागू होगा, जबकि लाभ पर कर एक अप्रैल से लगाया जाएगा।

जीएसटी के दृष्टिकोण से एफएक्यू से यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्रिप्टोकरेंसी वस्तु है या सेवा। अभी क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है और इसे वित्तीय सेवाओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

(साभार- पीटीआई भाषा)

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Bitcoin (बिटकॉइन) $ 1,00,000 के पार, क्या निवेश करना चाहिए?

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