मंगलवार, 1 नवंबर 2022

डिजिटल रुपया (e₹, ई₹) को लेकर आज खास दिन, पायलट के तौर पर थोक सेगमेंट के लिए शुरू होगा डिजिटल रुपया( e₹-W); CBDC, e₹, Digital Rupee, RBI

 


डिजिटल करेंसी को लेकर जो काम अमेरिका, चीन जैसे बड़े बड़े देश या उनके केंद्रीय बैंक नहीं कर सके, वह काम अपना देश और केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करने जा रहा है। आपको बता दूं कि बिटकॉइन जैसी निजी डिजिटल करेंसी को खतरा मानते हुए कई देशों और उसके केंद्रीय बैंकों ने अपना अपना डिजिटल करेंसी शुरू करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन भारत इस मामले में अव्वल निकला।

तो, RBI   पायलट के तौर पर थोक सेगमेंट के लिए आज डिजिटल रुपया( e₹-W) शुरू करने जा रहा है। इसके तहत, थोक सेगमेंट में  चुनिंदा लेन-देन के लिए डिजिटल रुपया( e₹-W) के इस्तेमाल की मंजूरी दी जाएगी। फिलहाल नौ बैंकों . State Bank of India, Bank of Baroda, Union Bank of India, HDFC Bank, ICICI Bank, Kotak Mahindra Bank, Yes Bank, IDFC First Bank और HSBC को इस पायलट में हिस्सा लेने की मंजूरी दी जाएगी। .

थोक सेगमेंट के लिए आज डिजिटल रुपया( e₹-W) की कैसी प्रतिक्रिया मिलती है, उसके आधार पर खुदरा सेगमेंट के लिए पायलट के तौर डिजिटल रुपया (e₹-R) शुरू किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने इसकी जानकारी दी। 

(साभार- www.rbi.org.in)

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शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

RBI ने देश की डिजिटल मुद्रा (ई₹, e₹) पर अवधारणा नोट जारी किया, जानें डीटेल्स


केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा पर अवधारणा नोट जारी करना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत के लिए केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पर एक अवधारणा नोट जारी किया। 

इस अवधारणा नोट को जारी करने का उद्देश्य सामान्य रूप से सीबीडीसी और विशेष रूप से डिजिटल रुपये (ई) की योजनाबद्ध विशेषताओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है। यह भारत में सीबीडीसी जारी करने के उद्देश्यों, विकल्पों, लाभों और जोखिमों की व्याख्या करता है। यह नोट सीबीडीसी की शुरूआत के प्रति रिज़र्व बैंक के दृष्टिकोण को दर्शाने का भी प्रयास करता है।

अवधारणा नोट में प्रौद्योगिकी और डिजाइन विकल्प, डिजिटल रुपये के संभावित उपयोग, जारी करने का तंत्र आदि जैसे प्रमुख विषयों पर भी चर्चा की गई है। यह बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता पर सीबीडीसी की शुरूआत के तात्पर्य की जांच करता है और गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक शीघ्र ही विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए ई की प्रायोगिक रूप से शुरुआत करेगा। जैसे-जैसे इस तरह की प्रायोगिक शुरुआत की सीमा और दायरा बढ़ता है, भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर ई की विशेषताओं और लाभों के बारे में सूचित करेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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बुधवार, 7 सितंबर 2022

सीबीडीसी से सीमापार लेनदेन के समय, लागत में होगी कमी: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) से सीमा पार लेनदेन के लिए समय और लागत में कमी आएगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने बुधवार को यह बात कही। सीबीडीसी को इस साल पेश किया जाना है।

केंद्रीय बैंक ने सीबीडीसी को इस साल पायलट आधार पर पेश करने का प्रस्ताव दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा लाने की घोषणा की थी।

वित्त मंत्री ने 2022-23 के आम बजट में कहा था कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष में रुपये के समान एक डिजिटल लाएगा।

उन्होंने ‘इंडिया आइडियाज समिट’ में कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि सीबीडीसी का अंतरराष्ट्रीयकरण भुगतान के मसले के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका समाधान इस समय जी-20 और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) जैसे निकाय तलाश रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत में एक उत्कृष्ट, सस्ती और तेज घरेलू भुगतान प्रणाली है, लेकिन इसके बावजूद सीमापार भुगतान की लागत अब भी अधिक है।

उन्होंने कहा कि लागत और गति दोनों में सुधार की काफी गुंजाइश है।

शंकर ने कहा कि सीबीडीसी शायद इसका सबसे कुशल रास्ता है। उदाहरण के लिए, अगर भारत सीबीडीसी और अमेरिकी सीबीडीसी प्रणाली एक-दूसरे से जुड़ सकें, तो हमें लेनदेन का निपटान करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सीमापार लेनदेन में निपटान जोखिम को बड़े पैमाने पर दूर करता है। इससे समय कम लगेगा और लागत भी कम होगी। इसलिए, सीबीडीसी का अंतरराष्ट्रीयकरण भविष्य में होने की उम्मीद है।’’

धोखाधड़ी प्रबंधन के बारे उन्होंने कहा कि प्रणाली की अखंडता को बनाए रखते हुए डिजिटल भुगतान को बढ़ाने की जरूरत है। 

(साभार- पीटीआई भाषा)

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सोमवार, 18 जुलाई 2022

रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने, इस पर कानून बनाने की सिफारिश की : सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है।

वित्त मंत्री के अनुसार आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

लोकसभा में थोल थिरूमावलवन के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही । उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी के दुष्प्रभाव के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है और क्या सरकार की भारत में क्रिप्टोकरेंसी के उपभोग को परिसीमित करने वाला कोई कानून लाने की कोई योजना है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जी, हां। भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रतिकूल प्रभाव पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी चिंता जाहिर की है। आरबीआई ने उल्लेख किया है कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है क्योंकि प्रत्येक मुद्रा को केंद्रीय बैंक/सरकार द्वारा जारी किया जाना आवश्यक है।’’ उन्होंने बताया कि फिएट मुद्राओं का मूल्य मौद्रिक नीति और वैध मुद्रा के रूप में उनकी स्थिति पर निर्भर होता है हालांकि क्रिपटोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से अटकलों एवं उच्च रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है जो स्थिर है। उन्होंने कहा कि इसलिए किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर इसका एक अस्थिर प्रभाव होगा ।

गौरतलब है कि फिएट मनी सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा है। इसका अपना कोई मूल्य नहीं है, लेकिन इसका मूल्य सरकारी नियमों से लिया गया है।

सीतारमण ने बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव संबंधी चिंताओं के मद्देनजर आरबीआई ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है।

उन्होंने कहा, ‘‘ आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।’’ उन्होंने बताया कि आरबीआई ने 24 दिसंबर 2013, एक फरवरी 2017 और पांच दिसंबर 2017 को सार्वजनिक नोटिसों के माध्यम से डिजिटल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को आर्थिक, वित्तीय, कानूनी, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी जोखिमों से आगाह कर रहा है सीतारमण ने कहा कि आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को एक परिपत्र भी जारी किया जिसमें अपनी विनियमित संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी में व्यापार करने या निपटान में किसी भी व्यक्ति या संस्था को सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएं प्रदान करने पर रोक लगाई थी ।

उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने 31 मई, 2021 के परिपत्र के माध्यम से अपनी विनियमित संस्थाओं को डिजिटल करेंसी में लेनदेन के लिए ग्राहक की यथोचित परिश्रम प्रक्रियाओं को जारी रखने के लिये विभिन्न मानकों के अनुरूप कार्य के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रासंगिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की सलाह दी है। 

(साभार- पीटीआई भाषा)

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गुरुवार, 9 जून 2022

क्रिप्टो करेंसी को फिएट करेंसी की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है: सीईए

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सावधानी बरतते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि क्रिप्टो करेंसी को फिएट करेंसी बनने की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है।

उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करना भी मुश्किल होगा।

फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है, और यह किसी कीमती धातु की जगह सरकार में भरोसे पर टिकी होती है।

उन्होंने आगे कहा कि फिएट करेंसी के विपरीत, क्रिप्टो मुद्राएं निहित मूल्य, व्यापक स्वीकार्यता और मौद्रिक इकाई जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं।

नागेश्वरन ने विकेंद्रीकृत वित्त (डीएफआई) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, इसे नवाचार माना जाता है, लेकिन मैं अपना निर्णय सुरक्षित रखूंगा कि क्या यह वास्तव में नवाचार है या यह कुछ ऐसा है, जिसका हमें पछतावा होगा।’’

उन्होंने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि वह आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर से सहमत हैं, जो कह रहे हैं कि क्रिप्टो करेंसी और विकेंद्रीकृत वित्त के संबंध में यह नियामक मध्यस्थता का मामला अधिक लग रहा है, बजाए कि वास्तविक वित्तीय नवाचार के।

उन्होंने कहा, ‘‘फिएट मुद्राओं के विकल्प के रूप में क्रिप्टो करेंसी को कई उद्देश्यों को पूरा करना होगा। इसमें निहित मूल्य होना चाहिए। इसकी व्यापक स्वीकार्यता होनी चाहिए और यह एक मौद्रिक इकाई होनी चाहिए... इस लिहाज से क्रिप्टो या डीएफआई जैसे नए नवाचार को अभी परीक्षा पास करनी बाकी है।’’ 

(साभार- पीटीआई भाषा)

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शुक्रवार, 13 मई 2022

क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी कोहराम! Bitcoin आया 30 हजार डॉलर के नीचे, दूसरे क्रिप्टोकरेंसी की भी हालत पतली


दुनिया भर के शेयर बाजार की ही तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी मानो कोहराम जारी है। सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेसी बिटकॉइन की कीमत उसके उच्चतम स्तर करीब 60 हजार डॉलर के मुकाबले आधी 29 हजार डॉलर के करीब रह गई है। 13 मई 2022 की सुबह इसकी कीमत 29,200 डॉलर के आसपास चल रही थी, जो कि पिछले साल जून के बाद सबसे कम है। पिछले साल जून में बिटकॉइन की कीमत 29 हजार डॉलर के करीब थी। बिटकॉइन ने अभी तक के कारोबार में 59 हजार डॉलर से ज्यादा का उच्चतम स्तर बनाया था। 



उधर, दुनिया भर में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तल समेत कई कमोडिटीज की आपूर्ति में बाधा आ जाने की वजह से महंगाई बढ़ने और फिर महंगाई का काबू में करने के लिए प्रमुख दरों में बढ़ोतरी से शेयर बाजारों में कोहराम मचा है। 

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में बिटकॉइन 8 प्रतिशत से ज्यादा लुढ़का है, जबकि पिछले सात दिनों में 24 प्रतिशत की गिरावट इसमें देखी गई है। इस साल बिटकॉइन करीब 47.5 प्रतिशत तक फिसल चुका है। 

बिटकॉइन के बाद दूसरी लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथीरियम की बात करें, तो 13 मई 2022 की सुबह इसकी कीमत दो हजार डॉलर के करीब थी।  पिछले 24 घंटे में यह तीन प्रतिशत से ज्यादा लुढ़का है, जबकि पिछले सात दिनों में 18 प्रतिशत की गिरावट इसमें देखी गई है। इथीरियम अभी 3737 डॉलर का उच्च स्तर बनाया है। 


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भारत के क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों, कारोबारियों, उद्यमियों के लिए झटका, Coinbase ने भारत में कारोबार रोका


अमेरिकी शेयर बाजार Nasdaq पर लिस्ट दुनिया के दिग्गज क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भारत में अपना कारोबार शुरू करने के कुछ ही दिनों के भीतर अपना कारोबार समेट लिया है। इसके लिए उसने भारत सरकार,  भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई और यूपीआई ऑपरेट करने वाली संस्था एनपीसीआई ( National Payments Corporation of India)  की ज्यादती को कारण बताया है। 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया हो, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को हतोत्साहित करने की हरसंभव कोशिश सरकार, आरबीआई, एनपीसीआई द्वारा की जा रही है। सरकार ने बजट 2022-23 में क्रिप्टो की कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स और इसके लेन-देन पर 1 प्रतिशत टीडीएस  लगाने की घोषणा से क्रिप्टो कारोबारी और निवेशक अभी उबरे नहीं थे कि खबर आ रही है कि सरकार क्रिप्टो पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का मन बना रही है। उधर, इसी बीच National Payments Corporation of India (NPCI) द्वारा  यूपीआई  से क्रिप्टो के लेन-देन पर रोक लगाने संबंधी खबर आने लगी। 

जहां दुनिया भर में इस नई तकनीक और डिजिटल करेंसी को अपनाने की रेस है, वहीं भारत में इसे हतोत्साहित किए जाने से क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, कारोबारी, निवेशक सब के सब हलकान हैं। क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ इस तरह की सख्ती से  घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज तो विदेशों में ठिकाना बना ही रहे हैं, नामी-गिरामी वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कॉइनबेस ने भी भारत में ऑपरेशंस शुरू करने के चंद दिनों के भीतर अपना कारोबार समेटने की घोषणा कर दी। 



कॉइनबेस के को-फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ब्रायन आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस मामले में कहा है कि सरकार और रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से अनौपचारिक दबाव (Informal Pressure) की वजह से भारतीय बाजार से कारोबार समेटना पड़ा है। 

आपको बता दूं कि कॉइनबेस  ने भारत में अपनी क्रिप्टो ट्रेडिंग सर्विस 7 अप्रैल को शुरू की थी। यह सर्विस अपने क्लाइंट्स को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से क्रिप्टो खरीदने की अनुमति भी दी थी। कुछ समय पहले एमपीसीआई द्वारा यह कहने के बाद कि “नहीं पता कि कोई क्रिप्टो एक्सचेंज यूपीआई का इस्तेमाल कर रही है”, कॉइनबेस ने भारत से अपने काम समेट लिया है। 

10 मई को आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था कि सरकार और आरबीआई का अनौपचारिक दबाव भारत के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन हो सकता है, जिसने क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्रीय बैंक के प्रतिबंध को उलट दिया था। उन्होंने कहा कि भारत इस मायने में एक यूनिक मार्केट है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि वे क्रिप्टो पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं, लेकिन सरकार में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक भी शामिल है, जो इस पर उतना सकारात्मक नहीं दिखता है। आगे उन्होंने कहा कि इसलिए वे प्रेस में इसे शैडो-बैन बताते हैं। मूल रूप से, वे इन भुगतानों में से कुछ को डिसेबल करने का प्रयास करने के लिए पर्दे के पीछे से सॉफ्ट प्रैशर बना रहे हैं, जिसमें कि यूपीआई के माध्यम से भुगतान भी हो सकता है। 

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