बिटक्वाइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाने वालों से टैक्स वसूला जाएगा और इसके लिए कई लोगों को नोटिस भी भेजा गया है। ये कहना है केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा का। लेकिन, सवाल है कि जब देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है, उसके कारोबार को कानून नहीं माना जा रहा है तो फिर उसमें पैसा लगाने वाले कैसे कानूनी काम कर रहे हैं? सवाल ये भी उठता है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को सरकार और रिजर्व बैंक का मौन समर्थन हासिल है?
आपको बताते चलें कि सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से देश में बिटक्वाइन समेत सभी क्रप्टोकरेंसी को लेकर कई दफे लोगों को आगाह किया जा चुका है कि इसका लेन-देन गैर-कानूनी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018-19 पेश करते समय भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी कानूनी नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि कर अधिकारियों ने आयकर कानून की धारा 133 ए के तहत बिटक्वाइन एक्सचेंजों का सर्वे किया है। इसके पीछे मकसद निवेशकों और कारोबारियों की पहचान के बारे में पता करना, उनके द्वारा किये गये लेनदेन, संबंधित बैंक खातों तथा अन्य जानकारियों का पता लगाना है। पिछले साल जेटली ने संसद को सूचित किया था कि भारत में आभासी मुद्राओं की निगरानी के लिए कोई नियमन नहीं हैं। साथ ही रिजर्व बैंक ने इस तरह की मुद्राओं के परिचालन के लिए किसी इकाई या कंपनी को कोई लाइसेंस नहीं दिया है।
आपको बताते चलें कि सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से देश में बिटक्वाइन समेत सभी क्रप्टोकरेंसी को लेकर कई दफे लोगों को आगाह किया जा चुका है कि इसका लेन-देन गैर-कानूनी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018-19 पेश करते समय भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी कानूनी नहीं है।
सुशील चंद्रा ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग इस तरह के निवेश पर कर वसूली का प्रयास कर रहा है। उनके मुताबिक, ‘कर अधिकारियों के संज्ञान में आया है कि इस तरह के कई निवेशकों ने उन्हें हुए लाभ पर अग्रिम कर नहीं दिया है. वहीं, कुछ दूसरों ने पिछले कर रिटर्न में इसके बारे में स्पष्ट नहीं किया है.'
विभाग ने पिछले साल दिसंबर में इन एक्सचेंजों में अखिल भारतीय स्तर पर सर्वे किया था. उन्होंने कहा, ‘हमने ऐसे कई निवेशकों को नोटिस भेजे हैं. इनमें से कई ने कर अदा करने की सहमति दी है. जहां तक बिटक्वाइन में किये गये निवेश का सवाल है, हम निश्चित रूप से उनसे कर वसूलेंगे.'
विभाग ने पिछले साल दिसंबर में इन एक्सचेंजों में अखिल भारतीय स्तर पर सर्वे किया था. उन्होंने कहा, ‘हमने ऐसे कई निवेशकों को नोटिस भेजे हैं. इनमें से कई ने कर अदा करने की सहमति दी है. जहां तक बिटक्वाइन में किये गये निवेश का सवाल है, हम निश्चित रूप से उनसे कर वसूलेंगे.'
सूत्रों ने कहा कि कर अधिकारियों ने आयकर कानून की धारा 133 ए के तहत बिटक्वाइन एक्सचेंजों का सर्वे किया है। इसके पीछे मकसद निवेशकों और कारोबारियों की पहचान के बारे में पता करना, उनके द्वारा किये गये लेनदेन, संबंधित बैंक खातों तथा अन्य जानकारियों का पता लगाना है। पिछले साल जेटली ने संसद को सूचित किया था कि भारत में आभासी मुद्राओं की निगरानी के लिए कोई नियमन नहीं हैं। साथ ही रिजर्व बैंक ने इस तरह की मुद्राओं के परिचालन के लिए किसी इकाई या कंपनी को कोई लाइसेंस नहीं दिया है।