बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत सरकार लाएगी कानून, संसद में मंत्री ने दी जानकारी


बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है। भारत में भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, इस पर स्पष्ट कानून या स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं होने की वजह से क्रिप्टोकरेंसी निवेशक अक्सर उलझन में रहते हैं। अब ये उलझन दूर होने वाली है। 

केंद्र सरकार ने साफ किया है कि जल्द ही वह क्रिप्टोकरेंसी पर बिल लेकर आएगी। सरकार का मानना है कि मौजूदा कानून इससे संबंधित मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने 9 फरवरी 2021 को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी। ऊपरी सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा कि नियामक संस्थाएं जैसे आरबीआई और सेबी के पास क्रिप्टोकरेंसी को सीधे तौर पर  रेगुलेट करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था मौजूद नहीं है. क्योंकि वे पहचान किए जा सकने वाले यूजर्स द्वारा जारी करेंसी, एसेट्स, सिक्योरिटी या कमोडिटी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून इस मामले से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

सरकार ने एक इंटर-मिनीस्टीरियल कमेटी बनाई थी, जिसने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मामलों पर अपनी रिपोर्ट दी है। एम्पावर्ड टेक्नोलॉजी ग्रुप की एक बैठक हुई. कैबिनेट सचिव की अगुवाई में सचिवों की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है।

बिल को दिया जा रहा अंतिम रूप

ठाकुर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर एक बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा। हम जल्द ही बिल को लेकर आएंगे। वर्चुअल करेंसी से संबंधित जोखिमों को देखते हुए, जिसमें बिटक्वॉइन भी शामिल है, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अप्रैल 2018 में एक सर्रकुलर के जरिए उसके द्वारा सभी इकाइयों को सुझाव दिया था कि वे वर्चुअल करेंसी (VCs) में नहीं डील करें या इसमें डील या VC सेटल कर रहे किसी व्यक्ति या इकाई को मदद नहीं करे। 

RBI ने भी अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की घोषणा की है। 


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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

टेस्ला के एलन मस्क के इस कदम से Bitcoin की किस्मत में लग गया चार चांद

Source: Bitcoin Twitter Handle 

किसी केंद्रीय बैंक ने या सरकार ने भले ही बिटक्वाइन को मान्यता नहीं दी है, लेकिन बिटक्वाइन क्रिप्टोकरेंसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अपनी पहचान मजबूती के साथ स्थापित कर रही है।  PayPal (पेपाल) ने तो पिछले साल ही बिटक्वाइन में भुगतान का लेन-देन शुरू किया था और ही इसमें निवेश भी किया था और अब टेस्ला के एसन मस्क ने भी बिटक्वाइन में निवेश का ऐलान किया। मस्क के ऐलान के बाद बिटक्वाइन रातों रात 32 लाख रुपए महंगा हो गया। 

8 फरवरी 2021 को बिटकॉइन की कीमतें अपने अब तक के उच्चतम स्तर (ऑल टाइम हाई) पर पहुंच गई हैं। बिटकॉइन की कीमतों में यह उछाल एक बड़े इनवेस्टमेंट से आया है। यह निवेश दुनिया के सबसे दौलतमंद एलन मस्क की कंपनी टेस्ला (Tesla) ने किया है। टेस्ला ने बताया है कि उसने सबसे पॉप्युलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है।

टेस्ला की इस घोषणा के बाद बिटकॉइन के प्राइस 15 फीसदी की तेजी के साथ 44,141 डॉलर पर पहुंच गए। पहली बार, बिटकॉइन की कीमतें 44,000 डॉलर के पार पहुंची हैं। भारतीय करेंसी के हिसाब से देखें तो बिटकॉइन की कीमत 32 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है।

डिजिटल क्वॉइन में पेमेंट्स लेना शुरू करेगी टेस्ला

इस इनवेस्टमेंट के साथ टेस्ला विवादास्पद क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को सपोर्ट  करने वाली अब तक की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। इसके अलावा, टेस्ला ने कहा है कि वह अपने प्रोडक्ट्स के लिए डिजिटल क्वॉइन में पेमेंट्स लेना शुरू  करेगी। बिटकॉइन के लिए पिछला साल बेहतरीन रहा है। 2020 में इसके प्राइसेज 4 गुना हो गए हैं।

मस्क ने ट्विटर प्रोफाइल पेज पर ऐड किया था #bitcoin टैग 

पिछले दिनों टेस्ला के चीफ एग्जिक्यूटिव एलन मस्क ने अपने ट्विटर  प्रोफाइल पेज पर #bitcoin टैग भी ऐड किया था। टेस्ला का यह निवेश, क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के लिए एक बड़ा सपोर्ट है। मनी लॉन्ड्रिंग और फ्रॉड में बिटकॉइन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण पॉलिसीमेकर्स लगातार इसकी आलोचना करते आए हैं। लंदन में Nexo के मैनेजिंग पार्टनर और को-फाउंडर एंटोनी ट्रेन्चेव का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि साल 2022 के आखिर तक एसएंडपी 500 की कम से कम 10 फीसदी कंपनियों का बिटकॉइन में निवेश होगा।


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शनिवार, 30 जनवरी 2021

Bitcoin समेत दूसरी Cryptocurrency को लेकर सरकार उठाने जा रही है ये कदम


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गुरुवार, 28 जनवरी 2021

क्या RBI भी बिटक्वाइन जैसी अपनी क्रिप्टोकरेंसी शुरू करने जा रहा है?


रिज़र्व बैंक ने भुगतान प्रणाली संबंधी बुकलेट जारी की, जिसमें मिलिनियम के दूसरे दशक के दौरान यथा, 2010 के प्रारंभ से लेकर 2020 के अंत तक भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली की यात्रा को शामिल किया गया है। इस बुकलेट में केंद्रीय बैंक ने बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी शुरू करने की जरूरत पर बल दिया है। 

यह बुकलेट 2010 से 2020 के दौरान भुगतान और निपटान प्रणालियों के क्षेत्र में भारत के परिवर्तन को कैप्चर करती है और अन्य बातों के साथ-साथ डिजिटल भुगतान प्रणाली, विभिन्न समर्थक (एनबलर्स), उपभोक्ताओं को उपलब्ध भुगतान विकल्प, अंगीकरण की सीमा इत्यादि को रेखांकित करने वाले विधिक और विनियामक वातावरण  का वर्णन करती है।

रिज़र्व बैंक इससे पहले वर्ष 1998 और 2008 में भुगतान प्रणाली संबंधी बुकलेट लाया था। श्रृंखला की इस तीसरी बुकलेट का देश में भुगतान प्रणाली के विकास के बारे में अधिक रूचि रखनेवालों के लिए एक संदर्भ दस्तावेज के रूप में काम करने की उम्मीद है। 

केंद्रीय बैंक देश में अपनी डिजिटल करेंसी (Digital Currency, आभासी मुद्रा) लाने पर विचार कर रहा है। उसने कहा कि भुगतान उद्योग के तेजी से बदलते परिदृश्य, निजी डिजिटल टोकनों के आने और कागज के नोट या सिक्कों के प्रबंधन से जुड़े खर्च बढ़ने के मद्देनजर दुनिया भर में कई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) लाने पर विचार कर रहे हैं। केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी की संभावनाओं के अध्ययन और इनके लिए दिशा-निर्देश तय करने के लिए आरबीआई ने एक अंतर-विभागीय समिति भी बनायी है।

CBDC एक लीगल करेंसी है तथा डिजिटल रूप में सेंट्रल बैंक की लाइबिलिटी है जो सॉवरेन करेंसी के रूप में उपलब्ध है। यह बैंक की बैलेंसशीट में दर्ज है। यह करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे आरबीआई द्वारा जारी कैश में कंवर्ट या एक्सचेंज किया जा सकता है।

आरबीआई ने इस बुकलेट में कहा है कि हालांकि दुनिया भर में प्राइवेट डिजिटल करेंसी (PDCs)/वर्चुअल करेंसीज (VCs)/ क्रिप्टोकरेंसीज (CCs) की लोकप्रियता हाल के दिनों में बढ़ी है, लेकिन भारत सरकार और रिजर्व बैंक अभी ऐसी करेंसीज को लेकर संदेह जता रहे हैं और इसके जोखिम पक्ष को लेकर ज्यादा गंभीर हैं। आरबीआई ने आगे कहा कि इन सबके बावजूद हम देश में फ्लैट करेंसी के डिजिटल वर्जन की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं और उसका संचालन कैसे किया जाए, उस पर विचार कर रहे हैं। 


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गुरुवार, 5 मार्च 2020

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन करने वालों के लिए अच्छी खबर

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक के 2018 के एक परिपत्र को रद्द करते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाएं मुहैया करने की इजाजत दे दी।

क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या आभासी मुद्राएं हैं, जिनमें मुद्रा इकाइयों के बनाने और फंड के लेनदेन का सत्यापन करने के लिए एन्क्रिप्शन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है और यह व्यवस्था केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रहकर काम करती है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिपत्र को रद्द किया जाता है।

आरबीआई के छह अप्रैल 2018 के परिपत्र के अनुसार केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर आभासी मुद्राओं से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक है।

पीठ ने कहा, “रिट याचिका को स्वीकार किया जाता है और छह अप्रैल 2018 के परिपत्र को खारिज कर दिया गया है।”

पीठ ने अपने 180 पन्नों के आदेश में कहा, “आरबीआई का लगातार यह कहना है कि उसने आभासी मुद्रा पर रोक नहीं लगाई है। दो मसौदा विधेयकों सहित कई समितियों के कई प्रस्तावों के बावजूद भारत सरकार कोई फैसला नहीं कर सकी है। दोनों मसौदा विधेयकों में स्थिति एकदम विपरीत रही है। ऐसे में किये गये उपाय को संतुलित ठहराना हमारे लिये संभव नहीं है।”

न्यायालय ने आरबीआई के प्रपत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ता इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएमएआई) ने अपनी दलील में कहा कि आरबीआई ने अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टोकरेंसी के असर को लेकर कोई अध्ययन किए बिना सिर्फ नैतिकता के आधार पर उसे प्रतिबंधित किया है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने उसके नियमन के दायरे में आने वाली सभी इकाइयों को किसी व्यक्ति अथवा उद्यम को आभासी मुद्रा में सेवायें देने से रोक लगाई है।

रिजर्व बैंक ने 2013 में एक परामर्श जारी करते हुये आभासी मुद्रा के इसतेमाल, उसे रखने और कारोबार करने वालों को सतर्क करते हुये इसमें लेनदेन के संभावित जोखिम के प्रति आगाह किया था।

इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने तीन जुलाई 2018 को आईएमएआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान आरबीआई के परिपत्र पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और इस संबंध में आरबीआई, वित्त मंत्रालय और केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जवाब मांगा था।

(साभार-पीटीआई भाषा)
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RBI डिजिटल करेंसी लॉन्च करे-सरकारी पैनल #Cryptocurrency #Bitcoin #RBI #Digital Currency

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शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

भारत में बिटक्वाइन पर सरकार की 'हां', RBI की 'ना' ! किसकी मानें...#Bitcoin #Cryptocurrency #India

भारत में बिटक्वाइन समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक है या नहीं है, इस बात को लेकर सरकार और देश के केंद्रीय बैंक RBI की बातों में असमंजस है। किसकी बात मानी जाए और किसकी नहीं। 

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर कहना है कि सरकार ने देश में क्रिप्टोकरेंसी पर रोक नहीं लगाई है। वहीं  RBI इस पर रोक लगा चुका है और साफ भी किया है कि देश में किसी को क्रिप्टोकरेंसी के खनन, लेन-देन, स्टोर करने का लाइसेंस नहीं दिया गया है। 

उधर, अनुराग ठाकुर का आगे कहना है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी के मसले के लिए कोई अलग कानून नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और इनकम टैक्स जैसे संबंधित विभागों ने मौजूदा नियमों के मुताबिक इस मसले पर कदम उठाए हैं। 

वित्त राज्य मंत्री ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिम और खतरे को देखते हुए सरकार और आरबीआई लोगों के हित में सलाह, प्रेस रिलीज और सर्कुलर जारी करती रही हैं." इस हफ्ते क्रिप्टोकरेंसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। 

उधर, इस सबके बीच क्रिप्टोकरंसी पर गठित अंतर-मंत्रालयी समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। उसमें क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की बात कही है। 

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सोमवार, 22 जुलाई 2019

RBI डिजिटल करेंसी लॉन्च करे-सरकारी पैनल #Cryptocurrency #Bitcoin #RBI #Digital Currency

अगर आप भारत में बिटक्वाइन समेत किसी भी क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार करते हैं तो आपके लिए जरूरी खबर है। दरअसल, एक सरकारी पैनल ने बिटक्वाइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक के साथ-साथ दोषियों पर सख्त कार्रवाई की भी सिफारिश की है। सिफारिश में दोषियों को 10 साल की कैद और जुर्माने की मांग की गई है। पैनल की सिफारिश एक तरह से भारत में क्रिप्टोकरेंसी को समाप्त करने की तरफ संकेत करती है।

वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अगुवाई वाले पैनल ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी का खनन करने वाले, सृजन करने वाले, होल्ड, सेल, ट्रांसफर या क्रिप्टोकरेंसी जारी करने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 साल तक के कारावास की सिफारिश करता है।

सरकार ने कहा है कि पैनल की इस रिपोर्ट का आधार बनाते हुए कानून बनाने से पहले नियामकों के साथ मिलकर जांच की जाएगी। 


हालाँकि, पैनल ने सरकार से भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से, बैंक नोटों की तरह कार्य करने के लिए भारत में एक आधिकारिक सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा के लॉन्च पर विचार करने की भी मांग की है। 

विभिन्न देशों के अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्रिप्टोकरंसीज को कैसे विनियमित किया जाए, खासकर तब जब फेसबुक ने लिब्रा नामक क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की है। 

भारत सरकार ने डिजिटल मुद्राओं में निवेश के खिलाफ बार-बार चेतावनी जारी की है, उन्होंने कहा कि यह "पोंजी योजनाओं" की तरह है जो नए निवेशकों को असामान्य रूप से उच्च रिटर्न प्रदान करते हैं।

वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता वाले सरकारी पैनल ने 25 करोड़ रुपये ($ 3.63 मिलियन) का जुर्माना और 10 साल तक के लिए कारावास की सिफारिश की, जो किसी भी तरह के क्रिप्टोकरेंसी का खनन करता है, सृजन करता है, रखता है, बेचता है, स्थानांतरित करता है या जारी करता है।

पैनल ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, "इन निजी क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित आंतरिक मूल्य नहीं है।"

निजी डिजिटल मुद्राओं का निर्माण गैर-संप्रभु लोगों द्वारा किया गया था और मुद्रा की विशेषताओं का अभाव था। उद्योग के अधिकारियों ने निराशा व्यक्त की और आशा है कि सरकार प्रतिबंध नहीं लगाएगी।

भारतीय वर्चुअल करेंसी के सह-संस्थापक, यूकोइन, साथविक विश्वनाथ ने कहा, "अगर सरकार इस तरह का कठोर कदम उठाने का फैसला करती है, तो भारत प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर महत्वपूर्ण रूप से हार जाएगा।"

एक अन्य भारतीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वज़ीरएक्स के सीईओ निश्चल शेट्टी ने कहा, वे अभी भी आशान्वित थे कि पैनल की रिपोर्ट को उसके मौजूदा रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

"क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना एक प्रतिगामी कदम है और किसी भी देश या सरकार को इस तरह की नई तकनीक पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।" पैनल ने कहा कि ब्लॉक श्रृंखला अच्छी थी लेकिन क्रिप्टोकरेंसी खराब थी जो एक विरोधाभास था और काम नहीं करेगा, उन्होंने कहा।

2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा डिजिटल मुद्राओं के उपयोग के साथ व्यापक धन शोधन की रिपोर्ट के बाद पैनल की स्थापना की गई थी।

कर अधिकारियों ने देश भर में सर्वेक्षण के बाद क्रिप्टोकरंसीज में काम करने वाले हजारों लोगों को 17 महीने की अवधि में 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक का लेनदेन दिखाया।
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